अनंत द्वारा लिखित, सुमेरमल जैन स्कूल का कक्षा 8 का छात्र
भारत हूँ मैं, मैं तो हूँ जंबुद्वीप की अखंड शान। इस धरती का चूड़ामणि, मैं हूँ संस्कृति भरा अभिमान। रावण का वध करने वाला मैं हूँ मर्यादा पुरुषोत्तम राम। स्त्री सम्मान के लिए बनूँ बैरी, मैं हूँ वो द्वारकाधीश श्याम। आर्यवर्त को जीत ले ऐसा हूँ सूत पूत मैं। लड़ सकता हूँ पर झुक सकता नही हूँ उस क्षत्राणी का सपूत मैं। मैं पाँच पति की पांचाली को याज्ञसेनि देवी हूँ बुलाता। और यदि दुश्मन के लिए बनता हूँ ज़हर तो दोस्त के लिए हूँ अमृत बन जाता। बात आए जो आत्मसम्मान की तो भगवान से भी लड़ जाऊँ। और दिल चाहता है इस स्वर्ण इतिहास को बार-बार मैं दोहराऊॅं। भारत का इतिहास बताते हुए मैं सदा ही हर्षता हूँ। इस बात पर गर्व होता है मुझे की मैं इस पावन भूमि भारत से आता हूँ।
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