गीतांजलि द्वारा लिखित,18 साल का छात्र

अमेरिका के थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकनोमिक एंड फाइनेंशियल एनालिसिस रिपोर्ट के अनुसार तमिलनाडु इस वर्ष भारत का शीर्ष अक्षय ऊर्जा उत्पादक राज्य बन गया है। इससे पहले तक शीर्ष स्थान पर कनार्टक था।

देश में कुल अक्षय ऊर्जा(Renewable energy)

अक्षय ऊर्जा का अर्थ है ऐसे स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा है जो असमाप्य एवं नवीकरणीय है जैसे सूर्य ऊर्जा,पवन ऊर्जा आदि। देश में कुल अक्षय ऊर्जा उत्पादन में से लगभग 17.2 प्रतिशत तमिलनाडु राज्य से प्राप्त होता है।

पवन ऊर्जा में तमिलनाडु की स्थिति

2017 तक 7,878 मेगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन कर तमिलनाडु राज्य पवन ऊर्जा का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। इसके बाद गुजरात 5,429 मेगावाट के साथ दूसरे स्थान पर है तथा महाराष्ट्र 4652 मेगावाट के साथ तीसरे स्थान पर है। तमिलनाडु भारत का सबसे पुराना बिजली उत्पादन भी माना गया है क्योंकि वहां के अधिकतर पवन ऊर्जा फॉर्म 25 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं।

सौर ऊर्जा मे तमिलनाडु की स्थिति

2017 तक 1,657 मेगावाट सूर्य ऊर्जा उत्पादन के साथ तमिलनाडु तीसरे स्थान पर है। प्रथम स्थान पर आंध्र प्रदेश 2,010 मेगावाट और दूसरे स्थान पर राजस्थान 1,009 मेगावाट के साथ शामिल है। तमिलनाडु में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सिंगल साइट सोलर फॉर्म भी है जो अकेले ही 648 मेगावाट तक की ऊर्जा उत्पादित करता है।

तमिलनाडु में अक्षय ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि के कारण

1) समुद्री पवन एवं सौर ऊर्जा संसाधनों की उपलब्धता, बिजली की मांग और पूर्ति के बीच में अंतर और मजबूत सरकारी नीतियों ने तमिलनाडु को अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद किया है।

2) तमिलनाडु सरकार ने औद्योगिक इकाइयों को अपने उघोगिक बिजली की आवश्यकता पूर्ण करने के लिए पवन ऊर्जा एवं सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की अनुमति दे रखी है।

3)सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे में सुधार किया जा रहा है और नई तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिससे फर्मों के विस्तार एवं विकास को प्रोत्साहन मिला है।

4) पवन ऊर्जा उत्पादन पर अनुकूल टैरिफ एवं कर होने के कारण इसके उत्पादन में वृद्धि हो रही है।

निष्कर्ष

अन्य राज्यों को भी तमिलनाडु राज्य से सीख लेकर अक्षय ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि अक्षय ऊर्जा प्रकृति के लिए हानिकारक है।

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