जाने कैलाश मंदिर के बारे में
भारत आरंभ से ही स्थापत्य कला और नकाशी में अन्य देशों की तुलना में काफी आगे था और भारतीय संस्कृति में मुख्यता दो भक्ति परंपराएं देखी जाती हैं- पहली शिवबाद और दूसरी वैष्णवबाद परंपरा प्रमुख है।
भारत आरंभ से ही स्थापत्य कला और नकाशी में अन्य देशों की तुलना में काफी आगे था और भारतीय संस्कृति में मुख्यता दो भक्ति परंपराएं देखी जाती हैं- पहली शिवबाद और दूसरी वैष्णवबाद परंपरा प्रमुख है।
प्रदीप द्वारा लिखित, 19 वर्ष का छात्र
जैसा कि हम सभी को ज्ञात है कि भारतीय संस्कृति और परंपरा विश्व के स्तर पर अनूठी है। भारत आरंभ से ही स्थापत्य कला और नकाशी में अन्य देशों की तुलना में काफी आगे था और भारतीय संस्कृति में मुख्यता दो भक्ति परंपराएं देखी जाती हैं- पहली शिवबाद और दूसरी वैष्णवबाद परंपरा प्रमुख है। आज हम सिर्फ शिव परंपरा से संबंधित एवं स्थापत्य कला में कैलाश मंदिर के बारे में अध्ययन करेंगे। कैलाश मंदिर देखने में इतना आकर्षक है कि यह सिर्फ भारत के लोगों को नहीं बल्कि दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है
कैलाश मंदिर के बारे में
कैलाश मंदिर एलोर गांव जिला औरंगाबाद महाराष्ट्र में स्थित है। एलोर गांव होने कारण वहां की गुफाओं का नाम एलोर पड़ा। एलोर गांव एलोर गुफाओं से केवल 1 किलोमीटर की दूरी पर है। कैलाश मंदिर एलोरा की गुफाओं में स्थित है। यह मंदिर एक ही पत्थर से खोद कर तैयार किया गया है या यह मंदिर दुनिया भर में एक ही पत्थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है जो अपने आपको काफी रुचिकार बनाता है।
||कैलाश मंदिर का निर्माण||
कैलाश मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण प्रथम ने 757 से 783 ईसवी के बीच करवाया था। यह मंदिर एलोरा की 16वीं गुफा में स्थित है। आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण करने के लिए लगभग 40000 टन वजनी पत्थर को चट्टान से काटा गया था। कैलाश मंदिर का निर्माण सही डेट आज भी कोई नहीं जानता है। बताया जाता है की कैलाश मंदिर को बनवाने में करीब 7000 मजदूर लगे थे। कैलाश मंदिर शिव को समर्पित है इस मंदिर में भगवान शिव की शिवलिंग विराजमान है और चौंकाने वाली बात यह है कि यह मंदिर हिमालय के कैलाश मंदिर की तरह दिखता है इस मंदिर को बनवाने में 150 सालों का समय लगा था।
||||कैलाश मंदिर की वास्तुकला||||
कैलाश मंदिर दो मंजिला इमारत है जो पूरी दुनिया में एक ही पत्थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए जानी जाती है। मंदिर के निर्माण में कई पीढ़ियों का योगदान रहा है। मंदिर की ऊंचाई 90 फीट है। मंदिर में प्रवेश द्वार मंडप तथा कई मूर्तियां हैं। दो मंजिल में बनाए गए इस मंदिर को भीतर तथा बाहर दोनों और मूर्तियों से सजाया गया है। मंदिर में सामने की ओर खुलें मंडप में नदी है और उसके दोनों और विशालकाय हाथी स्तंभ बने हुए हैं। कैलाश मंदिर एलोरा की गुफा में स्थित है। एलोरा की गुफाएं 34 है जिसमें 17 हिंदू गुफाएं,12 बौद्ध गुफाएं, और पांच जैन गुफाएं हैं। कैलाश मंदिर को छोड़कर एलोरा की मूर्तिकला अनुपम गुप्त काल के बाद इतना भव्य निर्माण और किसी कालखंड में नहीं हुआ।
कैलाश मंदिर से संबंधित एलोरा गांव की कहानियां
वहां के स्थानीय लोगों की कुछ कहानियां है जो कैलाश मंदिर से संबंधित हैं। वे कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण 1 सप्ताह के अंदर किया गया था। इस मंदिर की कहानी एक रानी से जुड़ी है जिसका पति राजा नरेश कृष्ण प्रथम बेहद बीमार था। रानी ने अपने पति को ठीक हो जाने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की इसके बदले में रानी ने शिव को समर्पित एक मंदिर बनवाने की कसम खाई और मंदिर पूरा होने तक उपवास किया।
इसके बाद रानी अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए आगे बढ़ी। रानी के वास्तु विद उसके उपवास के बारे में चिंतित थे क्योंकि इस तरह के भव्य मंदिर को पूरा करने के लिए एक लंबे समय की आवश्यकता होगी। लेकिन एक कोकासा नाम के वास्तुकार ने रानी को आश्वासन दिया कि वह एक सप्ताह में मंदिर का निर्माण कर सकता है। काकोसा ने अपनी बात रखी और ऊपर से नीचे तक चट्टान से मंदिर बनाना शुरू किया इस तरह एक हफ्ते में कैलाश मंदिर बनकर तैयार हो गया।
एलोरा की गुफाएं विश्व धरोहर के रूप में यूनेस्को द्वारा 1983 से विश्व विरासत स्थल घोषित किए जाने के बाद अजंता और एलोरा की तस्वीरें और शिल्पकला बौद्ध धार्मिक कला के उत्कृष्ट नमूने में माने गए और इनका भारत में कला के विकास पर गहरा प्रभाव है क्योंकि कैलाश मंदिर एलोरा की गुफाओं का ही एक हिस्सा है इसलिए वह भी विश्व धरोहर के रूप में गिना जाता है।
आशा है कि आपको यह जानकारी रोचक लगी होगी। हम इसी प्रकार से विभिन्न लेखों के साथ फिर मिलेंगे।
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शीर्षक छवि स्रोत: wikimedia