गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

हमारे पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है जो पृथ्वी और सूर्य की परिक्रमा करने में लगा रहता है। चंद्रमा के बारे में अनेक ऐसे रहस्य है जिसके बारे में लोगों को पता नहीं है वैज्ञानिक निरंतर रूप से चंद्रमा पर अपने अंतरिक्ष यान भेजते रहते हैं तथा चंद्रमा के बारे में महत्वपूर्ण चीजों को जानने का प्रयास करते हैं। आज हम चंद्रमा के बारे में अद्भुत परिकल्पनाओं तथा उसके आकार पर बात करेंगे।

चंद्रमा के आकार में परिवर्तन

जैसा कि आप सब देखते होंगे चंद्रमा के आकार में निरंतर परिवर्तन होता रहता है कभी वह पूरा दिखता है, कभी वह आधा तो कभी बिल्कुल गायब ही हो जाता है।

आज हम आपको एक अद्भुत रहस्य बताने जा रहे हैं। यह अद्भुत बात यह है कि चंद्रमा के आकार में कभी परिवर्तन होता ही नहीं है वह वैसा ही होता है जैसा एक निश्चित समय पर होता है अर्थात उसका आकार एक ही है। चंद्रमा एक उपग्रह है जो वास्तव में ना तो घटता है और ना बढ़ता है और ना ही छुपता है। हम लोग को भ्रम स्वरूप ऐसा प्रतीत होता है कि चंद्रमा के आकार में परिवर्तन हो रहा है।

आप सोच रहे होंगे कि अगर चंद्रमा के आकार में कोई परिवर्तन नहीं आता तो वह हमेशा परिवर्तित होता क्यों दिखाई देता है तो हम बताना चाहेंगे कि चंद्रमा के पास उपग्रह होते हुए भी अपना कोई प्रकाश नहीं होता इसीलिए वहां सूर्य से प्रकाश लेता तथा उसे परावर्तित करता है और इस प्रकाश के परावर्तन के कारण ही चंद्रमा हमें पृथ्वी पर दिखाई देता है।

चंद्रमा के आकार में परिवर्तन संबंधी भ्रम का कारण

अब तक आप समझ चुके हैं कि चंद्रमा के आकार में होने वाले परिवर्तन हमारा भ्रम है लेकिन उस भ्रम के पीछे का कारण क्या है? चंद्रमा, सूर्य से प्रकाश लेता है और उसका उपयोग करता है परंतु हम सभी जानते हैं कि समय अनुसार सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी की स्थिति बदलती रहती है। स्थिति परिवर्तन के कारण चंद्रमा को कभी कभी प्रकाश नहीं प्राप्त हो पाता अर्थात जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है तो प्रकाश की अनुपस्थिति की वजह से चंद्रमा दिखाई नहीं देता है। इसी प्रकार प्रकाश की उपस्थिति के अनुसार चंद्रमा का आकार हमे दिखाई देता है। जब उसे पूर्ण प्रकाश मिलता है वह पूरा दिखाई देता है जब आधा प्रकाश मिलता है तो चंद्रमा आधा दिखाई देता है और चंद्रमा को प्रकाश प्राप्त नहीं होता तो वह धरती पर छुप जाता है।

पूर्णिमा और अमावस्या

पूर्णिमा और अमावस्या दोनों ही चांद, पृथ्वी और सूर्य की स्थिति के द्वारा निर्धारित होती है और हर महीने में एक बार पूर्णिमा और एक बार अमावस की स्थिति आती है।

पूर्णिमा क्या है?

पूर्ण चांद

पूर्णिमा संस्कृत का एक शब्द है जिसका अर्थ पूर्ण चांद से होता है। इस दिन चांद पूरा दिखाई देता है क्योंकि चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी क्रम में होते हैं जिसमें चंद्रमा आगे फिर चंद्रमा के सामने सूर्य और पीछे पृथ्वी होती है जिस कारण चंद्रमा को पूर्ण प्रकाश प्राप्त होता है और वह परावर्तन कर पाता है।

अमावस्या क्या है?

अमावस्या शब्द का मतलब अंधकार से होता है। इस दिन चांद बिलकुल भी दिखाई नहीं देता, इसलिए आसमान में बहुत अंधकार होता है। इस दिन चांद पृथ्वी और सूर्य के क्रम में होते हैं और चांद सबसे आगे, उसके बाद पृथ्वी और पीछे सूर्य होता है इसी कारण चांद को सूर्य से प्रकाश प्राप्त नहीं हो पाती है क्योंकि बीच में पृथ्वी प्रकाश को रोक लेती है।

आशा है आपको यह चंद्रमा से संबंधित ज्ञानवर्धक लेख पढ़कर आनंद आया होगा। हम इसी प्रकार के ज्ञानवर्धक लेखों के साथ जल्द मिलेंगे।

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