गोल्डन ज्वाइंट-सबसे ऊंचा पुल
भारत ने चिनाब नदी पर गोल्डन ज्वाइंट का निर्माण करके अपने परिवहन व्यवस्था में एक नया कीर्तिमान रचा है और कुछ दिनों पहले ही उसका उद्धघाटन हुआ है।
गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा
भारत एक विकासशील देश है और विकसित होने की दौड़ में भाग रहा है और किसी भी विकसित या विकासशील देश में आधारभूत संरचना का मजबूत होना बहुत आवश्यक है ताकि देश के हर दूर दराज के इलाकों तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके। परिवहन सुविधाएं एक देश की ह्रदय और धमनिया मानी जाती है और संपूर्ण देश को जोड़ने का काम करती है ऐसे में भारत ने चिनाब नदी पर गोल्डन ज्वाइंट का निर्माण करके अपने परिवहन व्यवस्था में एक नया कीर्तिमान रचा है और कुछ दिनों पहले ही उसका उद्धघाटन हुआ है। आज हम गोल्डन ज्वाइंट के बारे में संपूर्ण जानकारी हासिल करने का प्रयास करेंगे ।
गोल्डन ज्वाइंट का निर्माण
गोल्डन ज्वाइंट एक पुल है जो चेनाब नदी के दोनों हिस्सों को आपस में जोड़ता है। अगर हम लंबाई की बात करें तो आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि इसकी लंबाई 1315 मीटर है और ऊंचाई 359 मीटर है इसे दुनिया का सबसे ऊंचा पुल भी माना जा रहा है और इसकी ऊंचाई पेरिस में स्थित प्रसिद्ध ऐफ़िल टावर से भी 30 मीटर ज्यादा है।
गोल्डन ज्वाइंट नाम किसने रखा?
इस पुल का नाम गोल्डन जॉइंट रखने का फैसला इस पुल के निर्माण में लगे अधिकारियों ने लिया। उनका कहना है कि गोल्डन ज्वाइंट एक महत्वकांक्षी चिनाब नदी पुल परियोजना को पूरा करने की दिशा में सार्थक कदम हो सकती है। इंजीनियरों और अधिकारियों ने गोल्डन ज्वाइंट नाम बहुत सोच समझकर दिया है क्योंकि उनका मानना है कि यह पुल इस पास के निवासियों के लिए स्वर्णिम अवसर लेकर आएगा।
पुल के निर्माण में लगी लागत
हम सभी जानते हैं कि किसी भी परियोजना या किसी भी निर्माण कार्य में आर्थिक रूप से बहुत लागत आती है। इस पुल के निर्माण में भी बहुत धन लगाया गया है। इस पुल का निर्माण 28000 करोड़ के अनुमानित लागत पर किया गया।
किसने किया निर्माण
आपके मस्तिष्क में यह सवाल उठ रहा होगा कि इतने अद्भुत और विशालता पुल का निर्माण किसने किया है तो हम आपको बता दें कि इन पुलों और ब्रिजों का निर्माण तथा क्रियान्वन कोंकण रेलवे कार्यकारी एजेंसी को दिया गया था। इसी एजेंसी ने उन्नत तकनीकों का प्रयोग करके कोंकण रेलवे का निर्माण किया था और इन्होंने चेनाब के पुल का निर्माण भी सर्वश्रेष्ठ विधि से किया है।
इस पुल की अन्य विशेषताएं
यह पुल आधे गोले के आकार का है और इस पुल में हवा की तेज गति को झेलने की भी क्षमता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पुल 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली तेज हवा का आसानी से सामना कर सकती है।
जैसा कि आप समझ गए होंगे कि यह पुल धातु से निर्मित है तो अगर पुल के भार की बात करें तो इस पुल का वज़न 10629 टन है।
जैसा कि आप जानते ही होंगे कि कश्मीर में तापमान का अंतर बहुत अधिक चला जाता है तो यह पुल एक प्रकार के विशेष स्टील माइंड से बना हुआ है जो 10 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को आसानी से झेल सकता है।
किसी भी पुल एवं ब्रिज के निर्माण के वक्त उसका एक अनुमानित जीवनकाल निर्धारित किया जाता है अगर हम इस पुल के न्यूनतम जीवनकाल की बात करें तो 120 वर्ष अनुमान लगाया है।
कश्मीर और चेनाब का क्षेत्र पहाड़ी क्षेत्र में आता है जहां पर भूकंप की संभावना हमेशा बनी रहती है तो इस पुल को इस समस्या को देखते हुए भूकंपरोधी अर्थात भूकंप को झेलने की क्षमता के अनुसार बनाया गया है।
गोल्डन ज्वाइंट का उद्घाटन
गोल्डन ज्वाइंट पुल का उद्घाटन समारोह कुछ दिनों पहले ही आयोजित किया गया। इस दिन सैन्य अधिकारियों के साथ मिलकर निर्माण अधिकारियों और इंजीनियरों ने ध्वजारोहण किया और धूमधाम से उद्घाटन समारोह मनाया।
आशा है यह लेख आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा होगा। हम इसी प्रकार के अन्य लेखों के साथ जल्द मिलेंगे।
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शीर्षक क्गवी स्रोत: ndtv.com