गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा

आज कल गर्भपात कानून (abortion law) को लेकर पूरे विश्व में चर्चाएं चल रही हैं क्योंकि अमेरिका में उच्च न्यायालय ने लगभग 50 साल पुराने अपने गर्भपात कानून को बदल कर संशोधन कर दिया है। इस मुद्दे में  “रो बनाम वेड फैसले” की बातें भी सामने आ रही हैं। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने इसी केस मे गर्भपात का अधिकार महिलाओं को दिया था जिसे 24 जून 2022 को बदल दिया गया तथा गर्भपात को अमेरिका में गैर कानूनी घोषित कर दिया गया।

रो बनाम वेड केस

अमेरिका का गर्भपात कानून

आप सभी रो बनाम वेड केस  के बारे में जानने को उत्सुक हो रहे होंगे। अगर हम संक्षिप्त में जानने का प्रयास करें तो यह केस एक अमेरिकी महिला का केस था जिसने 1969 में अमेरिका के उच्च न्यायालय में याचिका डाली थी। उसके पहले से ही 2 बच्चे थे इसीलिए वह गर्भपात करवाना चाहती थी। इस केस का फैसला 1973 में आया जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गर्भपात करवाना या नहीं करवाना महिलाओं का अधिकार है।

इस केस में उच्च न्यायालय ने कहा था कि गर्भपात का निर्णय महिला का होता है और यह उनका अधिकार है परंतु 24 जून 2022 में इस फैसले को पलट दिया गया तथा गर्भपात को गैरकानूनी करार दे दिया गया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा महिला को दिया गया गर्भपात संबंधित अधिकार छीन लिया गया। उच्च न्यायालय के इस फैसले का बहुत विरोध भी हो रहा है।

भारत में गर्भपात कानून

गर्भपात कानून क्या है

भारत इस मामले में अमेरिका से बेहतर स्थिति में है क्योंकि भारत में महिलाएं एक निश्चित समय अवधि के बीच कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में गर्भपात करवा सकती हैं परंतु ऐसा डॉक्टर की सलाह पर ही होता है महिलाओं को 20 हफ्ते से पहले गर्भपात करवाने की आजादी है।

भारत में 1971 में गर्भपात के लिए कानून लाया गया जिसे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी 1971 के नाम से जाना जाता है। इसमें कुछ नियम लिखे हैं जिन नियमों का पालन करते हुए महिलाएं अपना गर्भपात करवा सकती हैं।

इसमें लिखे नियमों के अनुसार कोई भी महिलाएं 20 हफ्ते तक गर्भपात करवा सकती हैं। कुछ  विशिष्ट परिस्थितियों में महिलाओं को 24 हफ्ते तक गर्भपात करवाने की आजादी दी गई है जिसमें यौन शोषण का शिकार होना, नाबालिक, बलात्कार पीड़ित और विकलांग होना शामिल है। अगर किसी बीमारी एवं शारीरिक समस्या के कारण बच्चे को जन्म देने से माता के जीवन को खतरा हो तब भी गर्भपात करवाया जा सकता है।

परंतु अगर कोई भी किसी महिला को जबरदस्ती गर्भपात करवाने के लिए मजबूर करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती हैं।

गर्भपात को अवैध करने के लाभ एवं हानियां

अमेरिका में गर्भपात का संवैधानिक अधिकार महिलाओं से छीन लिया गया तथा इसे गैर- कानूनी माना जा रहा है। जिस पर अनेक विरोध हुए तथा विभिन्न लोगों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। गर्भपात को अवैध मानने के पीछे भी विभिन्न लोगों के विभिन्न विचार हैं जिसमें कुछ लाभ एवं हानियां सम्मिलित हैं। आइए उन्हें जानते हैं:-

लाभ

कुछ लोगों का विचार है कि माता के गर्भ में पलने वाला बच्चा भी एक जीवन के रूप में है और गर्भपात करवाना भी एक प्रकार के अपराध के समान है। एक माता का कर्तव्य ममता दिखाना है नाकि बच्चे का जीवन समाप्त करना।

सबसे बड़ी समस्या जो संपूर्ण विश्व में मौजूद है। वह है पितृसत्तात्मक समाज। चाहे अमेरिका हो या भारत संपूर्ण विश्व में पितृसत्तात्मकता फैली हुई है। जिस कारण कई बार औरतों पर जबरदस्ती गर्भपात करवाने का दबाव डाला जाता है। कई बार बेटियों से छुटकारा पाने के लिए भी गर्भपात करवाया जाता है जिससे लिंगानुपात में कमी आती है।

हानियां

अधिकतर नारीवादी समाज के लोगों का मानना है कि नारी को पूर्ण हक है कि वह अपने शरीर और जीवन के निर्णय स्वयं ले सके। उसे बच्चों को जन्म देना है या नहीं देना यह भी उसका निर्णय होना चाहिए।

गर्भपात को अवैध बनाने पर कई बार यौन शोषण की शिकार, नाबालिक और बलात्कार पीड़ित महिलाओं को भी एक बच्चे का बोझ उठाना पड़ता है। जिस कारण दोनों का ही भविष्य अंधकारमय हो जाता है।

आप को जानतकर खुशी होगी कि भारत का गर्भपात कानून अमेरिका जैसे विकसित देशों से बहुत बेहतर है। यहां पर कुछ विशेष परिस्थितियों में गर्भपात करवाने की आजादी दी गई है और यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि महिलाओं पर किसी प्रकार का दबाव ना बनाया जाए।

आशा है आपको गर्भपात कानून के बारे में कुछ आधारभूत जानकारियां प्राप्त हुई होगी। हम इसी प्रकार की विभिन्न जानकारियों के साथ जल्द ही मिलते हैं।

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