इंडोनेशिया की नई राजधानी
अभी कुछ समय पहले ही हमने भारत में जोशीमठ के जमीन में धसने के बारे में सुना है ऐसी घटनाएं विश्व के विभिन्न शहरों में हो रही हैं और सम्पूर्ण विश्व में सबसे तेजी से जल में डूबने वाला शहर जकार्ता है जो इंडोनेशिया की राजधानी थी।

अभी कुछ समय पहले ही हमने भारत में जोशीमठ के जमीन में धसने के बारे में सुना है ऐसी घटनाएं विश्व के विभिन्न शहरों में हो रही हैं और सम्पूर्ण विश्व में सबसे तेजी से जल में डूबने वाला शहर जकार्ता है जो इंडोनेशिया की राजधानी थी।
गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा
अभी कुछ समय पहले ही हमने भारत में जोशीमठ के जमीन में धसने के बारे में सुना है ऐसी घटनाएं विश्व के विभिन्न शहरों में हो रही हैं और सम्पूर्ण विश्व में सबसे तेजी से जल में डूबने वाला शहर जकार्ता है जो इंडोनेशिया की राजधानी थी। कुछ दिनों पहले ही इंडोनेशिया की राजधानी जावा द्वीप के जकार्ता से बदलकर बोर्नियो द्वीप के नुसनतारा में स्थांतरित किया जा रहा है। यह घोषणा इंडोनेशिया के प्रधानमंत्री जो विदादों के द्वारा किया गया है। उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया अपना अगला आज़ादी का महोत्सव अपनी नई राजधानी में ही मनाएगा। आज हम इंडोनेशिया की राजधानी के बदलने के कारण तथा नई राजधानी की विशेषताओं के बारे में जानने का प्रयास करेंगे।
आप सभी को यह ज्ञात होगा कि इंडोनेशिया दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित एक देश है जिसकी राजधानी अभी तक जकार्ता नामक शहर था जिसे अब बोर्नियो के नुसनतारा में स्थानांतरित किया जा रहा है। इसके पीछे कई कारण हैं:-
जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक प्रभाव इंडोनेशिया में देखने को मिला है। जलवायु परिवर्तन के कारण जकार्ता दुनिया का सबसे तेजी से डूबने वाला शहर बन गया है। जकार्ता के डूबने का कारण वहां के लोगों द्वारा अत्यधिक मात्रा में भूजल की निकासी, जलवायु परिवर्तन तथा समुद्र स्तर का बढ़ना है। वैज्ञानिकों का मानना है कि 2050 तक जावा द्वीप का अधिकतर भाग पानी में समा जाएगा। इंडोनेशिया की सरकार जकार्ता के पुनः निर्माण के लिए 4.5 बिलियन डॉलर खर्च कर रही है। जकार्ता के निरंतर डूबने की स्थिति में इंडोनेशिया को एक नई राजधानी की आवश्यकता है ताकि वहां से भीड़ कम हो सके और जकार्ता शहर का पुननियोजन किया जा सके।
इंडोनेशिया की पिछली राजधानी जकार्ता में बहुत अधिक भीड़ होने के कारण वायु प्रदूषण तथा जल प्रदूषण स्तर बहुत अधिक है जिसके कारण वहां पर जीवन की गुणवत्ता बहुत खराब है।
प्राकृतिक आपदा क्षेत्र
जकार्ता, जावा द्वीप पर स्थित है इसलिए यहां पर भूकंप, तूफान और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की संभावना बहुत अधिक है जिससे हर वर्ष जान-माल की बड़ी हानि होती है।
नई राजधानी के रूप में बोर्नियो द्वीप के नुसनतारा का चुनाव किया गया है। इसके कुछ विशेष कारण हैं:
बोर्नियो, जावा से भी पांच गुणा बड़ा है इसलिए यहां पर किसी भी मैगासिटी के निर्माण के लिए पर्याप्त जगह है इसका वर्तमान घनत्व बहुत कम है इसलिए यहां पर किसी भी शहर का नियोजन आसान है।
बोर्नियो में जनसंख्या कम होने के कारण बहुत अधिक जैव विविधता है यहां पर बहुत विशालकाय वर्षावन क्षेत्र है जिसका उपयोग नवनिर्माण के लिए किया जाएगा।
इंडोनेशिया में 17000 से अधिक द्वीप है। जावा दीप पश्चिमी ओर स्थित था जिस कारण से सारी विकास की योजनाएं केवल इंडोनेशिया के पश्चिमी क्षेत्र तक सीमित रह जाती थीं परंतु बोर्नियो की भौगोलिक स्थिति केंद्र में पड़ती है जिससे संपूर्ण इंडोनेशिया में सामंजस्य स्थापित करना आसान हो जाएगा।
वैज्ञानिकों को डर है कि नई राजधानी के निर्माण के एवज में बड़ी मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जाएगा जिससे जीव जंतुओं को हानि होगी। पेड़ों की कटाई से प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की समस्या और तेजी से बढ़ेगी।
इसके साथ-साथ इस नई राजधानी के निर्माण में निजीकरण का स्वरूप झलकता है। इस शहर के निर्माण के खर्चे मे 80% निवेश बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किया जा रहा है, इसके बदले सरकार उन्हें कम लागत पर जमीन उपलब्ध करवा रही है। इस निजीकरण के कारण वहां के स्थानीय निवासियों का अपनी ही जमीन से अधिकार छिन जाएगा।
नई राजधानी के निर्माण का बहुत ज़ोरों से विरोध हो रहा है क्योंकि स्थानीय लोगों को अपनी ज़मीनें बहुत सस्ती दरों पर सरकार को बेचनी पड़ रही हैं।
इस नए शहर नुसनतारा के निर्माण के स्थान को लेकर भी स्थिति बहुत चिंताजनक है। इस स्थान पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं है और ना ही यहां की भौगोलिक एवं जलवायिक स्थिति पर ज्यादा रिसर्च किया गया है।
इंडोनेशिया के अर्थशास्त्रियों की चिंता है कि इस नई राजधानी के निर्माण तथा पुरानी राजधानी जकार्ता के बचाव के लिए सरकार को बहुत पैसे खर्च करने पड़ेंगे जिसके लिए सरकार को अन्य देशों से ऋण लेना पड़ सकता है जो इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्था को कमजोर करेगा।
नई राजधानी के निर्माण का काम बहुत तेजी से चल रहा है इसे तीन चरणों में पूरा किया जाएगा।
प्रथम चरण में प्रधानमंत्री तथा उप प्रधानमंत्री भवन, सभी सरकारी दफ्तर, न्यायालय तथा सांस्कृतिक पार्क का निर्माण कार्य होगा।
द्वितीय चरण में दफ्तरों में काम करने वाले सफेद कॉलर लोगों के रहने के लिए बिल्डिंग का निर्माण, शैक्षणिक संस्थान, विद्यालय, महाविद्यालय, अस्पताल और रिसर्च सेंटर का निर्माण किया जाएगा।
तीसरे चरण में सामान्य लोगों के रहने के लिए मकान की व्यवस्था, मेट्रो तथा अन्य सुविधाओं का विकास तथा उच्च तकनीकी विकास शामिल होगा।
इंडोनेशिया की सरकार की मानें तो यह नई राजधानी का निर्माण 2050 तक समाप्त हो जाएगा और बोर्नियो के निर्माण का इंडोनेशिया के विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा परंतु वैज्ञानिकों की चिंता भी जायज है इतने बड़े विकास में बहुत अधिक प्रदूषण तथा पेड़ों की कटाई होगी जो जलवायु परिवर्तन को और तेजी से बढ़ा देगा जिसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव संपूर्ण विश्व को झेलना पड़ेगा। भूमि के धसाव की घटना केवल जकार्ता में ही नहीं हो रही है इस प्रकार के विभिन्न जलवायु परिवर्तन संपूर्ण विश्व में महसूस किए जा रहे हैं। भारत में भी ऐसा ही घसाव जोशीमठ में देखा गया है। जोशीमठ से संबंधित लेख आप नन्ही खबर की बेवसाइट पर जाकर पढ़ सकते हैं। यह सही समय है कि हम सभी जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाएँ तथा दूसरों को भी जागरूक करें, तभी हम अपनी पृथ्वी को बचा सकते हैं।
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