नेज़ल वैक्सीन: टीकाकरण का एक नया तरीका
पिछले 2 वर्षों में संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस जैसी भयानक महामारी को झेल रहा था। जब यह महामारी आरंभ हुई तो इससे बचने के लिए विभिन्न प्रकार के वैक्सीन पर रिसर्च आरंभ हुआ तथा विभिन्न वैक्सीनों का निर्माण हुआ।
पिछले 2 वर्षों में संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस जैसी भयानक महामारी को झेल रहा था। जब यह महामारी आरंभ हुई तो इससे बचने के लिए विभिन्न प्रकार के वैक्सीन पर रिसर्च आरंभ हुआ तथा विभिन्न वैक्सीनों का निर्माण हुआ।
गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा
पिछले 2 वर्षों में संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस जैसी भयानक महामारी को झेल रहा था। जब यह महामारी आरंभ हुई तो इससे बचने के लिए विभिन्न प्रकार के वैक्सीन पर रिसर्च आरंभ हुआ तथा विभिन्न वैक्सीनों का निर्माण हुआ। उसी दौरान वैज्ञानिकों ने नेज़ल वैक्सीन को कोरोना से बचाव का अच्छा विकल्प समझा और उस पर रिसर्च आरंभ किया। आज के समय में विभिन्न देशों की सरकारें भी नेज़ल वैक्सीन के उपयोग को अनुमति दे रही हैं। आज हम जानने वाले हैं कि नेज़ल वैक्सीन क्या है तथा यह कोरोना को रोकने में किस प्रकार उपयोगी होगी।
नेज़ल वैक्सीन क्या है?
आप सभी ने जीवन में कभी ना कभी तो वैक्सीन लगवाई हीं होगी। आमतौर पर वैक्सीन हमें मांसपेशियों और शरीर के विभिन्न अंगों पर लगाई जाती हैं। इस प्रकार की वैक्सीन को अल्ट्रा मस्कुलर वैक्सीन कहा जाता है। उसी प्रकार से कुछ दिनों पहले नेज़ल वैक्सीन सामने आई है जैसे कि शब्द से ही समझ आ रहा है। नेज़ल अर्थात नाक के द्वारा दी जाने वाली वैक्सीन। कोरोनावायरस से बचाव के लिए इस वैक्सीन का निर्माण किया जा चुका है।
सामान्य वैक्सीन और नेज़ल वैक्सीन में अंतर
सामान्य वैक्सीन से तो आप सभी परिचित होंगे। अगर हम सामान्य वैक्सीन और नेज़ल वैक्सीन में अंतर देखें तो यह इस प्रकार हैं:-
सामान्य वैक्सीन मांसपेशियों में लगाई जाती हैं जबकि नेज़ल वैक्सीन नाक द्वारा दी जाती है।
सामान्य वैक्सीन में हमें इंजेक्शन लगवाना पड़ता है परंतु नेज़ल वैक्सीन में इंजेक्शन की आवश्यकता नहीं होती है।
सामान्य वैक्सीन लगवाने के बाद हमें इंजेक्शन के प्रभाव के कारण सूजन और बुखार आदि का सामना करना पड़ता है परंतु नेज़ल वैक्सीन में इस प्रकार की समस्या नहीं है।
नेज़ल वैक्सीन काम कैसे करती है?
नेज़ल वैक्सीन कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बनाई गई है जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत में कोरोनावायरस के केस कम होते जा रहे हैं। ऐसे में भविष्य में भी उसके संक्रमण को कम बनाए रखने के लिए नेज़ल वैक्सीन बहुत उपयोगी है।
नेज़ल वैक्सीन भी हमारे अन्य सामान्य वैक्सीन की ही तरह शरीर में एंटीबायोटिक बनाती है परंतु वह सीधा नाक से दी जाती है इसीलिए वह वायरस को व्यक्ति के शरीर में आने से पहले ही समाप्त कर देती है और फेफड़ों को खराब होने से बचाती है।
नेज़ल वैक्सीन शरीर में इम्यूनोग्लोबिन उत्पन्न करती है जिससे बीमारियों का संक्रमण रुक जाता है।
नेज़ल वैक्सीन कैसे कोरोनावायरस को रोकने में है सहायक
नेज़ल वैक्सीन के बहुत सारे लाभ हैं जो उसे अन्य वैक्सीन से अलग बनाती है और यह उसे कोरोनावायरस को रोकने में उपयोगी सिद्ध करती है।
नेज़ल वैक्सीन के द्वारा वायरस को नाक में ही समाप्त कर दिया जाता है जिससे फेफड़ों को खराब होने से बचाया जा सकेगा।
नेज़ल वैक्सीन का उत्पादन और संग्रह बहुत आसान है। इसके द्वारा वैक्सीन की बर्बादी भी खत्म होगी।
आजकल बच्चों में बहुत सारी संक्रमक बीमारियां फैलने की संभावना उत्पन्न हो रही है। ऐसे में नेज़ल वैक्सीन, इंजेक्शन के द्वारा नहीं दी जाएगी और बच्चों के लिए भी सहायक सिद्ध होगी।
वैक्सीन लगाने के लिए भी हेल्थ वर्कर को ट्रेनिंग दी जाती है क्योंकि गलत तरीके से लगाई गई वैक्सीन का स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ता है परंतु नेज़ल वैक्सीन के लिए हेल्थ वर्करों को ट्रेनिंग देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह स्प्रे के द्वारा दी जा रही है।
नेज़ल वैक्सीन पर रिसर्च
वैक्सीन बनाने के लिए उस पर बहुत अधिक रिसर्च और ट्रायल चला है। ट्रायल में विभिन्न प्रकार के जीव जंतु आदि पर वैक्सीन का इस्तेमाल करके देखा गया। जिसमें इस वैक्सीन से जानवरों में बहुत अधिक एंटीबॉडी का निर्माण हुआ। आशा है कि यह वैक्सीन कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने में बहुत प्रभावी सिद्ध होगी ।
पर्यावरण के लिए भी है फायदेमंद
हम सभी जानते हैं भारत में कोरोना से बचाव के लिए दो वैक्सीन की डोज लगाई जा रही है परंतु नेज़ल वैक्सीन का एक ही डोज कोरोना से संरक्षण के लिए उपयोगी होती है।
अगर हम ध्यानपूर्वक सोचें तो नेज़ल वैक्सीन पर्यावरण के लिए भी बहुत ही हितैषी है क्योंकि सामान्य वैक्सीन लगाने के कारण अस्पतालों से निकलने वाला कचरा बहुत अधिक बढ़ गया है जोकि बहुत अधिक खतरनाक तथा पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनता है। अस्पताल के मेडिकल कचरे का निपटान करना बहुत मुश्किल होता है। आप सभी ने सुना तो होगा ही कि इंजेक्शन को छूने या उससे प्रभाव में आने से भी लोगों मे बीमारियां फैल जाती हैं।
इस प्रकार नेज़ल वैक्सीन पर्यावरण की दृष्टि से भी बहुत उपयोगी है क्योंकि यह सुई और सीरीज़ से निकलने वाले बहुत अधिक कचरे को कम कर देगा।
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शीर्षक छवि स्रोत: thehindu.com