किंशुक बंसल द्वारा लिखित, सुमेरमल जैन स्कूल काकक्षा 9 का छात्र
जल जीवन का अमृत, यह जान ले इंसान। जीव जगत के लिए धारा में, यही है प्रभु का वरदान॥
जल ही जीवन है। हम सब
यह जानते हैं पर फिर भी इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं। जल हमारे जीवन के लिए अमृत
है। भगवान का दिया हुआ वरदान है। मनुष्य, जीव-जन्तु, यहाँ तक कि पेड़-पौधे भी जल के बिना कुछ नहीं हैं। फसलें नहीं होंगी, खाना नहीं मिलेगा तो कोई जीवित नहीं रहेगा।
जल के अंदर जीवन, जीवन के अंदर जल। नहीं दिया जो ध्यान अभी, तो बचेगा नहीं कल।।
जल तो कल है। इसलिए हमे
पानी का संरक्षण करना होगा। व्यर्थ करना तो बहुत दूर की बात है, प्रयोग किए गए पानी को भी दोबारा प्रयोग में लाना होगा। बारिश के पानी को
इकट्ठा करना होगा। नई सोच के साथ घर की छत्तों से एक पाइप नीचे टैंक तक लाकर पानी को
इकट्ठा करो या धरती में छोड़ दो ताकि धरती के पानी का स्तर कम न हो।
धरती की गुल्लक में, हुआ पानी का खज़ाना खाली। नदी ताल लहरों का तो, न बनाओ गंदी नाली॥
धरती का जल तो हमने अपने
क्रियाकलापों से खत्म जैसा ही कर दिया है। परंतु जो बचा है, हमारी नदियों, तालाब, सरोवर और
कुएँ, हमें कोशिश करनी है उन्हे बचाने की। कैसे? हमें यह प्रतिज्ञा करनी है कि हम इन्हे प्रदूषित नहीं करेंगे। अपने गंदे पानी
या गंदगी को बहाने का ऐसा प्रबंध करेंगे कि यह गंदा पानी या गंदगी नदियों में न मिलने
पाए।
तो आओ मिलकर कदम बढ़ाएँ। जल संरक्षण को आदत बनाएँ॥
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