वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की स्थिति
कुछ दिनों पहले ही वैश्विक भूख सूचकांक जारी किए गए हैं जिसमें भारत का स्तर पहले से भी ज्यादा नीचे गिर गया है। पहले भारत 116 देशों में 101 स्तर पर था परंतु इस बार एक 107 पर पहुंच गया है।
कुछ दिनों पहले ही वैश्विक भूख सूचकांक जारी किए गए हैं जिसमें भारत का स्तर पहले से भी ज्यादा नीचे गिर गया है। पहले भारत 116 देशों में 101 स्तर पर था परंतु इस बार एक 107 पर पहुंच गया है।
गीतांजलि द्वारा लिखित, 19 साल की छात्रा
कुछ दिनों पहले ही वैश्विक भूख सूचकांक जारी किए गए हैं जिसमें भारत का स्तर पहले से भी ज्यादा नीचे गिर गया है। पहले भारत 116 देशों में 101 स्तर पर था परंतु इस बार एक 107 पर पहुंच गया है तो आज हम वैश्विक भूख सूचकांक के साथ-साथ भारत देश के खराब प्रदर्शन के बारे में भी जानेंगे।
वैश्विक भूख सूचकांक
सबसे पहले हम जानते हैं कि वैश्विक भूख सूचकांक क्या होता है। यह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संस्थाओं द्वारा जारी किए जाने वाला सूचकांक या रिपोर्ट है। यह बताता है कि किसी देश में भूख से पीड़ित लोगों की स्थिति कैसी है अर्थात कितने लोगों को भोजन नहीं उपलब्ध हो पा रहा है और वह भूख और कुपोषण के कारण बेहतर जीवन नहीं जी पा रहे हैं।
कब आरंभ हुआ?
अगर हम ग्लोबल हंगर इंडेक्स की बात कर रहे हैं तो हमें यह जानना भी आवश्यक है कि यह कब शुरू हुआ? वैश्विक भुखमरी सूचकांक सबसे पहले 2000 में शुरू हुआ तब से लेकर हर वर्ष यह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों को आंकड़ों और रैंकिंग के द्वारा भुखमरी के बारे में सचेत करता रहता है।
किस आधार पर जारी किया जाता है?
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि कोई भी रिपोर्ट और सूचकांक को किसी ना किसी पैमाने के द्वारा जारी किया जाता है, उसी प्रकार वैश्विक भुखमरी रिपोर्ट किसी देश में तीन आयामों को देखकर जारी किया जाता है। सबसे पहला और महत्वपूर्ण उस देश में भोजन की अपर्याप्त उपलब्धता, दूसरा बच्चों में कुपोषण और तीसरा कुपोषण और अल्पपोषण की समस्याओं के कारण बच्चों की मृत्यु। इन तीनों आधारों को लेकर किसी देश का वैश्विक भूख सूचकांक में रैंकिंग तैयार किया जाता है।
जिस देश की स्थिति अच्छी होती है वह देशों की लिस्ट में सर्वोच्च पर होता है और जिस देश में स्थिति सबसे खराब और भयावह होती है वह देशों के पायदान में सबसे नीचे होता है अर्थात प्रथम रैंकिंग पाने वाले देश मे भूखमरी सबसे कम है और जैसे-जैसे यह नंबर बढ़ते जाता है देशों में भूखमरी की स्थिति भी बढ़ती है।
कौन जारी करता है वैश्विक भूख सूचकांक?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रकार के सूचकांक और रिपोर्ट अलग-अलग संस्थाओं द्वारा जारी किए जाते हैं वैसे ही वैश्विक भुखमरी सूचकांक अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान जारी करता है। इस रिपोर्ट को जारी करने एवं प्रकाशित करने में कुछ गैर सरकारी संगठन भी सहायता करते हैं जिसमें वेल्ट हंगर हिल्फ (Welt Hunger Hilfe) और कन्सर्न वर्ल्डवाइड शामिल है।
वैश्विक भूख सूचकांक 2022 में भारत की स्थिति
वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की स्थिति बहुत खराब रही है। इससे पहले भारत 2020 में 101वें स्थान पर था परंतु इस बार यह रैंकिंग और नीचे चली गई है और 2022 के वैश्विक भूखमरी सूचकांक में भारत 107वें पायदान पर है। यह दर्शाता है कि भारत अपने देश के निवासियों की मूलभूत आवश्यकता भोजन की पूर्ति में भी असमर्थ है। अगर हम अंकों में देखें तो भारत का स्कोर 29.1 है जो बताता है कि भारत की स्थिति गंभीर है।
पड़ोसी देशों की स्थिति
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम हमेशा तुलनात्मक अध्ययन को वरीयता देते हैं। अगर हम वैश्विक भूख सूचकांक के आधार पर देखें तो भारत के पड़ोसी देशों का प्रदर्शन बहुत बेहतर है। कुछ समय पहले आर्थिक तंगी से गुजर रहा श्रीलंका 64वें स्थान पर है, नेपाल 81वे स्थान पर, बांग्लादेश 84वे तथा पाकिस्तान 99वे स्थान पर है। केवल अफगानिस्तान जो अभी युद्ध की स्थिति में है एवं तानाशाही शासन को झेल रहा है भारत से दो रैंक पीछे 109वे स्थान पर है।
भारत का वैश्विक भूख सूचकांक में खराब प्रदर्शन के कारण
हमने जाना कि भारत का वैश्विक भूख सूचकांक में खराब प्रदर्शन देखने को मिल रहा है इसके बहुत से कारण हैं, परंतु कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:-
भारत की बढ़ती जनसंख्या भारत के लिए समस्या बन रही है और सीमित संसाधनों के कारण जनसंख्या की मूलभूत आवश्यकताओं की भी पूर्ति नहीं हो पा रही।
भारत में रोजगार की कमी के कारण, बहुत से लोग बेरोजगार हैं जिस कारण भुखमरी बढ़ती जा रही है।
बच्चों को सही मात्रा में भोजन न मिल पाने के कारण उन्हें कुपोषण का सामना करना पड़ता है जिस कारण बाल मृत्यु दर बढ़ रहा है और वैश्विक भूख सूचकांक में भारत का प्रदर्शन गिर रहा है।
भारत में लोगों की आय में बहुत अधिक असमानता देखने को मिलती है, किसी की आय बहुत अधिक है और किसी की बहुत कम। जिस कारण कुछ लोगों के पास अत्यधिक संसाधन है और किसी के पास मूलभूत भी नहीं।
भारत में सालाना 92000 करोड़ रुपये का खाना बर्बाद होता है जिसे प्रतिशत में देखें तो 40% खाना बर्बाद होता है।
उपरोक्त लिखी पंक्तियां बताती है कि कुछ लोगों की लापरवाही तथा गलत कार्यों का जुर्माना संपूर्ण देश को झेलना पड़ रहा है। भारत में एक ओर इतने अधिक खाने की बर्बादी हो रही है और दूसरी और कुछ लोगों के पास खाने को भोजन नहीं है इसीलिए सबसे अधिक आवश्यकता जागरूकता की है।
आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा। आज आपने जाना कि किस प्रकार से भारत मे भूखमरी बढ़ती जा रही है। आप खाने की बर्बादी को रोककर, जागरूकता फैलाकर तथा दूसरों की मदद करके अपना एक सकारात्मक योगदान दे सकते हैं। हम फिर मिलेंगे, इसी प्रकार के ज्ञानवर्धक लेखों के साथ तब तक के लिए भूखमरी से आज़ादी की लड़ाई में दीजिए अपना योगदान।
क्या आप भी नन्ही खबर के लिए लिखना चाहते हैं?
संपर्क करें nanhikhabar@gmail.com पर